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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

पुकार रहा कश्मीर

पुकार रहा कश्मीर


पुकार रहा कश्मीर

Shashi Wahi

वादियां कश्मीर की

कह रही है आज

पुकार रक

रख लो मेरी शान

कोई कर रहा है आज

पीठ पीछे वार

मां हो रही है

लहूलुहान ।

उठो देशवासियों

बचालो इसकी शान को

डूबती नाव को

मांग रही है मां कुर्बानी!

अस्वीकरण:

उपरोक्त लेख में व्यक्त विचार अभिजीत चक्रवर्ती के व्यक्तिगत विचार हैं और कश्मीरीभट्टा .इन उपरोक्त लेख में व्यक्तविचारों के लिए जिम्मेदार नहीं है।

साभार:-  शशी वाही एंव 1996 नवम्बर कोशुर समाचार