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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

याद

याद


फिर से लौट आए हो तुम

एक तूफानी लहर बनकर

फिर से आओगे किसी और शक्ल में

हर बार तुम्हारे आने से

यह सच है

कांप उठेंगी दिशाएं

डर दिशा से गूंजेंगे

प्रार्थनाओं के बोल

अपनों के खो जाने से

त्राहि-त्राहि मच जाएगा

अभी तो भूल गए थे

फिर भूल जाएंगे

एक याद बनकर रह जाओगे।

 

अस्वीकरण :

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साभार: महाराजकृष्ण भरत एवं जून 2021 कॉशुर समाचार