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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

देश

देश


एक घर होता है

और घर

एक देश

देश में ही घर होता है

घर में देश

परदेस में

प्रवासी होते है

शरणार्थी होते है

एक बात पूछूं

उत्तर देंगे

कोई बंगाली है

तो कोई गुजराती

कोई कश्मीरी है

तो कोई बिहारी

वंदे भारत !

देश

एक घर होता है

और घर

एक देश

देश में ही घर होता है

घर में देश

घर

परदेस में नहीं होता

परदेस में

प्रवासी होते है

शरणार्थी होते है

जब

धरती हिलने लगती है

मन अधीर

तो

मां ही याद आती है

न कोई बंगाली रहता है

न कश्मीरी

न गुजराती

न बिहारी

सभी एकमेव स्वर में

गा उठते हैं

वंदे मातरम्!!

 

अस्वीकरण :

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साभार:- महाराज कृष्ण भरत एवम् काॅशुर समाचार जून 2020