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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

दिवान कथ छुख बेयन निश म्याॅन्य बारव -सोपुन त सोंच --

दिवान कथ छुख बेयन निश म्याॅन्य बारव -सोपुन त सोंच --


दिवान कथ छुख बेयन निश म्यान्य बारव।

ब बदलोवुस मेहरबानव त यारव।।

छोतुम प्योम बाथ येलि येलि वाॅर्य वाॅच़म ।

दितुम मा जा़ह ति बाॅथाह म्वंजट हारव ।।

बे-ज़ान्यन क्या तिमव विज़ि विज़ि बोरूम लोल ।

अमा पोज़ काॅपनोवुस जा़न्य कारव।।

गरा शेहजार ज़न छुम नार मनकल ।

गरा जा़ेलुस बहारव आबुशारव ।।

र्वन्यन हुंद श्रवन्य गछ़ान तंबलान छुम मन।

यि मा मॅच़रोवुहस हारव त द्यारव।।

व्वलो बागस अच़व पोशन करव गंद्य।

व्वलो पेचाननय अॅस्य वांक पारव।।

ओतामथ आॅस्य गटि मंज़ गाश छ़ारान ।

वॅलिव गाशस अंदर व्वन्य आश छ़ाराव।।

यिमव सोवुस ब तिमवय वजनोवुस ।

खबर कोरूहम यि क्या बातव त शारव।।

छु कुन कुन्दन त अॅद्य पख्य फितन वाराह।

कमन गोश दिथ कमन अॅस्य सीन दारव।।

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साभार:  आलव April 2007 व त्रिलोकी नाथ धर ‘कुन्दन’