Mahatma and Disciple महात्मा और शिष्य
एक महात्मा के पास एक व्यक्ति ने आकर पूछा- “महात्मन्! आप जीव और ईश्वर में एक ही चैतन्य का वास बताते हैं, परंतु ईश्वर के समान जीव सर्वज्ञ क्यों नहीं होता?” महात्मा ने एक लोटा जल गंगाजी से लाने की आज्ञा दी। एक व्यक्ति एक लोटा जल लाया तो महात्मा बोले–“बच्चा! गंगाजी में जहाज चलते हैं, इसमें क्यों नहीं चलते?” वह बोला- “गंगाजी में अथाह पानी है, लोटे में तो जहाज आएगा ही नहीं।" "इसी प्रकार जीवात्मा में थोड़े और ईश्वर में अनंत गुण हैं।” महात्मा ने कहा।
साभारः- जनवरी, 2006: अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 69