Saint and God  संत और भगवान

Saint and God  संत और भगवान

एक संत बियाबान में झोंपड़ी बनाकर रहते थे। वे राह से गुजरने वाले पथिकों की सेवा करते और भूखों को भोजन कराया करते थे। एक दिन एक बूढ़ा व्यक्ति उस राह से गुजरा। उन्होंने हमेशा की तरह उसे विश्राम करने को स्थान दिया और फिर खाने की थाली उसके आगे रख दी। बूढ़े व्यक्ति ने बिना प्रभु स्मरण किए भोजन प्रारंभ कर दिया। जब संत ने उन्हें याद दिलाया तो वे बोले – “ मैं किसी भगवान को नहीं मानता।" यह सुनकर संत को क्रोध आ गया और उन्होंने बूढ़े व्यक्ति के सामने से भोजन की थाली खींचकर उसे भूखा ही विदा कर दिया। उस रात उन्हें स्वप्न में भगवान के दर्शन हुए। भगवान बोले– “पुत्र ! उस वृद्ध व्यक्ति के साथ तुमने जो दुर्व्यवहार किया, उससे मुझे बहुत दुःख हुआ।" संत ने आश्चर्य से पूछा- “प्रभु! मैंने तो ऐसा इसलिए किया कि उसने आपके लिए अपशब्दों का प्रयोग किया।" भगवान बोले – “उसने मुझे नहीं माना तो भी मैंने आज तक उसे भूखा नहीं सोने दिया और तुम उसे एक दिन का भी भोजन न करा सके।" यह सुनकर संत की आँखों में अश्रु आ गए और स्वप्न टूटने के साथ उनकी आँखें भी खुल गई।

साभारः- सितंबर, 2012:  अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 09