Householder a Tapovan  गृहस्थ एक तपोवन

Householder a Tapovan  गृहस्थ एक तपोवन

एक व्यक्ति संत कबीर के पास पहुँचा और उनसे प्रश्न करने लगा कि – ' दांपत्य जीवन का क्या रहस्य है?" कबीर बोले–" अभी थोड़े समय में समझाता हूँ।' कुछ समय पश्चात कबीर ने अपनी पत्नी को आवाज लगाई–“यहाँ बड़ा अँधेरा है, जरा । दीपक तो रख जाओ।" उनकी पत्नी आईं और एक दीपक चौखट पर रख गईं। उस आदमी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि कमरे में काफी प्रकाश होते हुए भी कबीर ने पत्नी को बुलाया और वो भी बिना प्रतिवाद के दीपक रख कर चली गई। थोड़ी देर में उनकी पत्नी दोनों के लिए भोजन रख गई। जब दोनों ने खाना आरंभ किया तो कबीर की पत्नी आकर पूछा -" खाने में कुछ कमी तो नहीं है।" कबीर ने उत्तर दिया–" बिलकुल नहीं खाना बेहद स्वादिष्ट बना है।" उस आदमी को अचरज हुआ कि सब्जी में नमक कम होते हुए भी कबीर ने भोजन की प्रशंसा करी। अब संत कबीर उस व्यक्ति को संबोधित करते हुए बोले- “अब समझ में आया कि सुखी दांपत्य जीवन का क्या रहस्य है ?  इसको पाने का एक ही सरल मार्ग है कि हम एक दूसरे के साथ तालमेल बैठाना सीखें। एक दूसरे की कमियाँ निकालकर उनको नीचा दिखाने के बजाय यदि हम उनके गुणों को प्रश्रय दें तो गृहस्थ एक तपोवन बन जाए।

साभारः- सितंबर, 2012 % अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 50