Lord Buddha भगवान बुद्ध

Lord Buddha भगवान बुद्ध

भगवान बुद्ध समाधिस्थ थे। ऊपर आसमान में मेघ घिर आए और भयंकर वर्षा प्रारंभ हो गई। भगवान बुद्ध भीग न जाएँ इसलिए सर्पराज मुचलिंद ने भगवान के शरीर को सब तरफ से लपेटा और फिर अपने फनों का छत्र उनके सिर पर तैनात कर दिया। जब वर्षा रुकी तब लोगों का आवागमन पुनः शुरू हुआ। लोगों को आता जानकर सर्प ने अपनी पकड़ ढीली की और जंगल की अंदर की ओर चला गया। राहगीरों ने बुद्ध से प्रश्न किया – “प्रभु! सर्प ने आपको - किसी तरह का नुकसान तो नहीं पहुँचाया।" बुद्ध मुस्कराए और बोले – “बंधु ! जो संसार के सभी प्राणियों में उसी परमात्मा का दर्शन करता है, जो सृष्टि का नियंता है, उसका भला कौन बुरा कर सकता है ? "

साभारः- सितंबर, 2012 % अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 55