Wish Fulfillment कामनापूर्ति

Wish Fulfillment कामनापूर्ति

भगवान के दर्शनों की चिराकांक्षा तृप्त हुई, पर अभी भक्त के मन में कोई एक कुतूहल झाँक रहा था, जिसे वह व्यक्त नहीं कर पा रहा था। भगवान ताड़ गए। उन्होंने कहा- "वत्स ! तुम जो भी चाहो, निस्संकोच पूछ सकते हो।"

रुँधे गले को साफ करते हुए भक्त ने पूछा “भगवन् ! आप सारी सृष्टि के स्वामी हैं, फिर भी दुनिया भर से छिपकर क्यों रहते हैं?” "

भगवान हँसे और बोले- "वत्स ! छिपे रहने में ही मेरा कल्याण है। तुम नहीं जानते कि दुनिया का हर व्यक्ति मुझसे कुछ-न-कुछ चाहता है। यदि मैं प्रकट हो जाऊँ तो अपनी कामनाओं के लिए लोग मुझे जिंदा नोंच डालेंगे, इसीलिए अपना काम छिपकर चला रहा हूँ।” भगवान को अपनी कामनापूर्ति का साधन नहीं समझना चाहिए।

साभारः- जनवरी, 2006, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 08