Strength of Speech वाणी का वजन

Strength of speech वाणी का वजन

वन-विहार के लिए आए हुए राजा का जहाँ पड़ाव था, उसी के पास एक कुएँ पर एक अंधा, यात्रियों को कुएँ से निकालकर जल पिलाया करता था। राजा को प्यास लगी। उसने सिपाही को जल लाने भेजा। सिपाही वहाँ जाकर बोला-“ओ रे अंधे। एक लोटा जल इधर दे।”

'सूरदास ने कहा-"जा भाग, तुझ जैसे मूर्ख नौकर को जल नहीं देता।” सिपाही खीजक वापस लौट गया। अब प्रधान सेनापति स्वयं वहाँ पहुँचे और कहा- “अंधे भाई ! एक लोटा जल शीघ्रता से दे दो।" अंधे ने उत्तर दिया-“कपटी । मीठा बोलता है, लगता है पहले वाले का सरदार है। मेरे पास तेरे लिए जल नहीं।” दोनों ने राजा से शिकायत की महाराज बुड्ढा जल नहीं देता। राजा उन दोनों को लेकर स्वयं वहाँ पहुँचा और नमस्कार कर कहा- "बाबा जी? प्यास से गला सूख रहा है, थोड़ा जल दें तो प्यास बुझाऊँ ।” अंधे ने कहा- “महाराज? बैठिए, अभी जल पिलाता हूँ।”

राजा ने पूछा–“महात्मन्! आपने चक्षुहीन होकर भी यह कैसे जाना कि एक नौकर, दूसरा सरदार और मैं राजा हूँ ?” बुझ्ढे ने हँसकर कहा- “महाराज? व्यक्ति का वजन वाणी से पता चल जाता है, उसके लिए आँखों की कोई आवश्यकता नहीं।”

साभारः- जनवरी, 2006, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 09