Dedication निष्ठा
देवर्षि नारद ने ध्रुव की निष्ठा परखते -“वत्स? घोर तपस्या के बाद भी यदि तुम्हें भगवान के दर्शन न हुए, तब क्या करोगे ?” ध्रुव ने मुस्कराते हुए कहा- “भगवन्? तब मैं आगे भी तप करता रहूँगा और ज्ञात करूँगा कि क्या ईश्वर को पाने के लिए एक जन्म पर्याप्त नहीं।"
लक्ष्यप्राप्ति के लिए अनंत धैर्य आवश्यक है।
साभारः- जनवरी, 2006, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 30