#

#

hits counter
Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

Useless निकम्मा

Useless निकम्मा

एक व्यक्ति बड़ा निकम्मा था। हालांकि वह खूब मोटा-ताजा, शक्तिशाली और स्वस्थ था, परंतु काम कुछ नहीं करता था, इसलिए लोग उसे 'सॉड' कहकर पुकारते थे। एक दिन वह कहीं जा रहा था। सामने से आता दिखाई दिया एक साँड़ (नंदी)। उसके पीछे ही साँड़ का मालिक बाबा जी भी आ रहा था। उस निकम्मे व्यक्ति ने साँड़ को देखकर मौज से कहा- “आओ मित्र भाई | हम तुम गले मिलें। हम दोनों में अंतर ही क्या है ?" "और तो सब बराबर हैं, पर एक अंतर है। वह यह कि इसे समय पर घास मिल जाती है और तुम्हारी भगवान जाने ?” बाबा जी बोला। निकम्मे तथा आलसियों से पशु जानवर भी अच्छे रहते हैं।

साभारः- जनवरी , 2006 , अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 56