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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

Prayer प्रार्थना

Prayer प्रार्थना

एक बार महाराष्ट्र में अकाल की स्थिति पानी के अभाव में मनुष्य और पशु बेचैन होने लगे। कितने ही किसानों ने गाँव छोड़ दिए और अपने पशुओं को लेकर पानी और घास के लिए इधर उधर निकल पड़े। सभी लोग अत्यंत दुखी और चिंतित हो रहे थे कि किस प्रकार इस विपत्ति से छुटकारा मिले। सबने मिलकर कोई कारगर युक्ति सोचने का निश्चय किया। काफी सोच-विचार के बाद निश्चय हुआ कि यदि श्रद्धा, विश्वास और भक्तिपूर्वक सामूहिक रूप से उस परमपिता परमात्मा की प्रार्थना करें तो अवश्य इस संकट से छुटकारा मिल सकता है। लोग एक स्थान पर प्रार्थना के लिए एकत्र हुए।

प्रार्थना आरंभ हुई। उसी समय एक बालक बरसाती जूता पहने और छाता वहाँ पर आया। उसे छाता लगाए देख सभी लोग आश्चर्य करने लगे।

किसी ने कहा- “पानी कहाँ बरस रहा है, जो तू व्यर्थ में ही छाता लगाकर आया है?” बालक ने कहा- "जब आप सब लोग एकत्र होकर वर्षा के लिए प्रार्थना करने आए हैं तो भला पानी क्यों न बरसेगा ?"

बालक की निश्छल भावना से सबकी निष्ठाएँ उमड़ पड़ीं और प्रार्थना सार्थक हुई। सच्चे हृदय से की गई सामूहिक प्रार्थना कदापि व्यर्थ नहीं जा सकती।”

साभारः- जनवरी, 2006, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 62