Thoughts of Jesus ईसा के विचार

Thoughts of Jesus ईसा के विचार

ईसा ने जिस समय खुलकर अपने विचारों एवं सिद्धांतों का प्रचार शुरू किया, उनके बहुत से शत्रु हो गए। उनके एक शिष्य ने उनकी रक्षा के लिए साथ रहने का अनुरोध करते हुए कहा- "प्रभु? तू संसार का कल्याण कर रहा है और ये देशवासी तुझे कष्ट देना ही अपना कर्त्तव्य समझ रहे हैं। अब मैं तेरी रक्षा के लिए तेरे साथ रहूँगा ।”

महात्मा ईसा अपने शरीर की रक्षा के लिए किसी को कष्ट नहीं देना चाहते थे। उन्होंने शिष्य का दिल न तोड़ते हुए निषेध किया- "वत्स! देख, जंगली जानवरों तथा पक्षियों तक की माँद और बसेरे हुआ करते हैं, किंतु मुझे मनुष्यों के संसार में कहीं सिर छिपाने तक को जगह नहीं है। तू मेरे साथ कहाँ कहाँ भटकता रहेगा। मेरी शरीर रक्षा की अपेक्षा तू मेरे सिद्धांतों एवं विचारों को अधिक महत्व दे।”

साभारः- जनवरी,  2006,  अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 66