Mahashankar महाशंकर
“वृक्षों को शंकर क्यों कहते हैं?” एक पुत्र ने पिता से पूछा। पिता ने वृक्ष में जल डालते हुए कहा- "बेटा ! समुद्रमंथन हुआ, तब देव और दनुजों ने सब कुछ बाँट लिया, पर विष कोई लेने को तैयार न हुआ। तब उसे शंकर जी ने पीकर मानवता की रक्षा की। शंकर जी ने तो ऐसा एक बार किया, पर मनुष्य गंदी साँस, धुआँ और सड़ांध उत्पन्न किया करते हैं, उन्हें जीवन भर ये वृक्ष ही तो पान करके वायु शुद्ध रखते हैं । बोलो, यह क्या हुआ?” –“महाशंकर।" पुत्र ने उत्तर दिया ।
साभारः- अगस्त, 2004, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या -13