Freedom from Slavery गुलामी से मुक्ति

Freedom from Slavery गुलामी से मुक्ति

अमर लेखिका हैरियट एलिजाबेथ स्टो ने अपनी विश्वविख्यात पुस्तक टाम काका की कुटिया किन जटिल परिस्थितियों के बीच रहते हुए लिखी, यह बहुत कम लोग जानते हैं। आम जानकारी तो इतनी ही है कि इस क्रांतिकारी ग्रंथ ने अमेरिका से दासत्व की प्रथा उठा देने में अनुपम भूमिका का निर्वाह किया।

उन्होंने अपनी भाभी के पत्र का उत्तर देते हुए लिखा था-चूल्हा, चौका, कपड़े धोना, सिलाई, जूते गाँठना आदि की व्यस्तता बनी ही रहती है। बच्चों के लिए तैयारी, दिन भर सिपाही की तरह ड्यूटी देनी पड़ती है। छोटा बच्चा मेरे पास ही सोता है। वह जब तक सो नहीं जाता, कुछ भी लिख नहीं सकती। गरीबी और काम का दबाव बहुत है, फिर भी भाभी, सच मानना, मेरे मन में गुलामी के प्रति तेज आग धधक रही है, सो जिंदा रही तो कुछ ऐसा जरूर लिखूँगी, जो अमेरिका के सिर पर से मानवीय दासता को लादे रहने का कलंक छुड़ा सके

गरीबी और कठिनाइयों से घिरा रहकर भी मनुष्य इस अंतःप्रेरणा से प्रेरित हो तो इतना कुछ कर गुजर सकता है, जो उस व्यक्ति को अमर बनाने और समय को बदल देने की भूमिका निभाने के लिए पर्याप्त कहा जा सके। दुनिया जानती है कि श्रीमती स्टो ने जो साहित्य घोर विपन्न परिस्थितियों में रहते हुए लिखा, वह करोड़ों दासों को गुलामी से मुक्ति दिलाने और अमेरिका के सिर पर से कलंक का टीका छुड़ाने में कितना महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुआ।

साभारः- अगस्त, 2004, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या -17