Responsibility जिम्मेदारी

Responsibility जिम्मेदारी

एक बड़े बौद्ध संघाराम के लिए कुलपति की नियुक्ति की जानी थी । उपयुक्त विद्या और विवेकवान आचार्य को छाँटने का ऊहापोह चल रहा था। तीन सत्पात्र सामने थे। उनमें से किसे प्रमुखता दी जाए, यह प्रश्न विचारणीय था। चुनाव का काम महाप्राज्ञ मौदगल्यायन को सौंपा गया।

तीनों को प्रवास पर जाने का निर्देश हुआ। कुछ दूर पर उस मार्ग में काँटे बिछा दिए गए थे।

संध्या होने तक तीनों उस क्षेत्र में पहुँचे। काँटे देखकर रुके। क्या किया जाए? इस प्रश्न के समाधान में एक ने रास्ता बदल लिया। दूसरे ने छलाँग लगाकर पार पाई। तीसरा रुककर बैठ गया और काँटे बुहारकर रास्ता साफ करने लगा, ताकि पीछे आने वालों के लिए वह मार्ग निष्कंटक रहे; भले ही अपने को देर लगे । परीक्षक मौदगल्यायन समीप की झाड़ी में छिपे बैठे थे। उन्होंने तीनों के कृत्य देखे और परीक्षाफल घोषित कर दिया। तीसरे की रास्ता साफ करने की विद्या सार्थक मानी गई और अधिष्ठाता की जिम्मेदारी उसी के कंधे पर गई।

साभारः- अगस्त, 2004, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या -25