Passion आवेशपूर्वक
धर्म के किसी विषय पर चर्चा करते हुए आश्रम के छात्रों में दो दल हो गए। विवाद | इतना बढ़ा कि आवेश उबल पड़ा और हाथापाई हो गई।
गुरु आए। उन्होंने कहा- “धर्म-साधना का कोई भी पक्ष युक्तियुक्त क्यों न हो, किसी भी पक्ष में स्वभाव की विकृति के लिए कोई स्थान नहीं है। क्रोध और आवेशपूर्वक जो कुछ भी कहा जाएगा, वह सब धर्म होते हुए भी अधर्म बन जाएगा।" छात्रों के तमतमाए हुए चेहरे ठंढे हो गए ।
साभारः- अगस्त, 2004, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या -34
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