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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

Compassion करुणा

Compassion करुणा

एक तार्किक युवक था। संत ने ईश्वर के पक्ष में अनेक प्रमाण दिए, किंतु वह मानने के लिए तैयार न था। युवक ने कहा- “स्वामी जी, विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि ईश्वर यदि हृदय की गुफा में भी होता, तो भी डॉक्टरों को हार्ट ऑपरेशन के समय मिल गया होता।"

स्वामी जी को युवक की स्थूल दृष्टि समझते देर न लगी। उन्होंने युवक को इस

तरह समझाया, जिस तरह फूल की गंध आँख से नहीं, घ्राण से मालूम होती है और संगीत का रस आँख से नहीं, कान से अनुभव होता है। दूध के अंदर का मक्खन मथने से प्रकट होता है। उसी प्रकार कण कण में व्याप्त ईश्वर करुणा और सेवा के दो नेत्रों से ही देखा जा सकता है।

साभारः- अगस्त, 2004, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 48