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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

Yogkshem योगक्षेम

Yogkshem योगक्षेम

कोई गृहस्थ अकस्मात् आर्थिक विपत्ति में पड़ गया । उसको पेट भरने की चिंता होने लगी। उसके एक साथी ने कहा- “ भगवान की पूजा करो, उनसे कुछ माँगो ।” गृहस्थ का मन हुआ, क्यों न भगवान से याचना की जाए, पर तुरंत ही उसकी अंतरात्मा ने आवाज लगाई- विश्वासी आदमी को याचना नहीं करनी चाहिए, भगवान से भोजन की नहीं, धैर्यशक्ति की याचना करो । इस पर उस गृहस्थ को अपने अंदर भगवान की दिव्यवाणी सुनाई दी-“मैं धैर्य का समुद्र तुम्हारे साथ हूँ, तुम अधीर होकर अपना विश्वास क्यों खोते हो, क्या मैं बिना प्रार्थना के नहीं देता ? मुझ पर अटल विश्वास रखने वाले भक्त का योगक्षेम वहन करते रहने की तो मैंने शपथ ले रखी है।"

गृहस्थ 'ने मन ही मन भगवान से कहा सत्य है प्रभो, मैं भटक गया था। तुमने मुझे सँभाल लिया।

साभारः- अगस्त, 2004, अखण्ड ज्योति, पृष्ठ संख्या - 49