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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

Govind Damoder Astrotem श्री गोविन्द दामोदर स्तोत्रम्   

Shri Govind Damoder Astrotem श्री गोविन्द दामोदर स्तोत्रम्   

करारविन्देन पदारविन्दं

मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्।

वटस्य पत्रस्य पुटेशयानं बालं

मुकुन्द मनसा स्मरामि ।। 1।।

 

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे

हे नाथ नारायण वासुदेव ।

जिहवे पिवस्वामृतमेतदेव

गोविन्द दामोदर माधवेति ।। 2।।

 

विक्रेरतुकामा किल गोपकन्या   

मुरारिपादार्पितचित्तवृतिः।

दध्यादिकं मोहवशादवोचद्

                 गोविन्द दामोदर माधवेति।। 3।।

 

गृहे गृहे गोपवधूकदम्बाः सर्वे

मिलित्वा समवाप्य योगम्।

पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं

                   गोविन्द दामोदर माधवेति।। 4।।

 

सुखं शयाना निलये निजेऽपि

नामानि विष्णोः प्रवदन्ति मत्र्याः

ते निश्चतं तन्मयंता ब्रजन्ति

                   गोविन्द दामोदर माधवेति।। 5।।

 

जिह्वे सदैवं भज सुन्दराणि

नामानि कृष्णस्य मनोहराणि।

समस्तभक्तर्तिविनाशनानि

                गोविन्द दामोदर माधवेति।। 6।।

 

सुखावसाने इदमेव सारं

दु खावसाने इदमेव ज्ञेयम्।

देहावसाने इदमेव जाप्यं

              गोविन्द दामोदर माधवेति।। 7।।

 

जिह्वे रसज्ञे मधुरप्रिये त्वं

सत्यं हितं त्वां परमं वदामि ।

आवर्णयेथा मधुराक्षराणि

                 गोविन्द दामोदर माधवेति।। 8।।

 

त्वामेव याचे मम देहि जिह्वे

समागते दण्डधरे कृतान्ते।

वक्तव्यमेवं मधुरं सुभक्त्या

                गोविन्द दामोदर माधवेति।। 9।।

 

श्री कृष्ण राधावर गोकुलेश

गोपाल गोवर्धननाथ विष्णो।

जिह्वे पिवस्वामृतमेतदेव

               गोविन्द दामोदर माधवेति।। 10।।