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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

नष्ट

Narayan Pandit नारायण पंडित

प्रतिक्षण यह शरीर नष्ट होता रहता है, परन्तु दिखता नहीं।

Dnyaneshwar ज्ञानेश्वर

साहित्य यदि नष्ट हो जाए तो उस राष्ट्र का सब कुछ समाप्त हुआ समझो। लेकिन सब कुछ खत्म होने के पश्चात भी यदि साहित्य जिंदा है तो राष्ट्र कभी नष्ट नहीं होगा।

Anonymous अज्ञात  

हर चीज बदलती है, नष्ट कुछ नहीं होता है।