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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

हृदय

Swami Vivekananda स्वामी विवेकानन्द

जिसके हृदय की पुस्तक खुल चुकी है उसे अन्य किसी पुस्तक की आवश्यकता नहीं रह जाती। पुस्तकों का महत्व केवल इतना भर है कि वे हम में लालसा जगाती है। वे प्राय अन्य व्यक्ति के अनुभव होती हैं।