शिशिरस वुथ कुस रटे   Lalla Vakh लल वाख  - 30

शिशिरस वुथ कुस रटे   Lalla Vakh लल वाख  - 30



शिशिरस वुथ कुस रटे,

कुस ब्वके रटे वाव ।

युस पाॅच इन्द्रिय  च्यलिथ चटे,

सुय रटे गटे रव ॥

अर्थात्

शिशिर में ( छत से चूने वाली ) टपकन को कौन  रोक सकता है ? हवा को मुट्ठी में कौन पकड़ सकता है  ? जो पंचेंद्रियों को समेट कर उन्हें कूट कर रखे, वही अन्धेरे में  प्रकाश पा सकता है।

Contributed By: अशोक कौल वैशाली