शिशिरस वुथ कुस रटे,
कुस ब्वके रटे वाव ।
युस पाॅच इन्द्रिय च्यलिथ चटे,
सुय रटे गटे रव ॥
अर्थात्
शिशिर में ( छत से चूने वाली ) टपकन को कौन रोक सकता है ? हवा को मुट्ठी में कौन पकड़ सकता है ? जो पंचेंद्रियों को समेट कर उन्हें कूट कर रखे, वही अन्धेरे में प्रकाश पा सकता है।
Contributed By: अशोक कौल वैशाली