#

#

hits counter
Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

क्या- करॅ पाॅच़न दॅहन तॅ काहन्   Lalla Vakh लल वाख  - 50

क्या- करॅ पाॅच़न दॅहन तॅ काहन्   Lalla Vakh लल वाख  - 50



क्या- करॅ पाॅच़न दॅहन तॅ काहन् ,

व्वक्षुन यथ ल्यजि यिम कॅरिथ गै।

साॅरिंय समहन यिथ रज़ि लमॅहन,

अदॅ क्याजि राविहे काह़न गाव।।

अर्थात्

पांच ( तत्व) दस ( इन्द्रिय ) ओर ग्यारह (मनसहित इन्द्रिय समूह) को क्या करू। ( ये  सब ) मेरी हण्डिया खाली कर गये। यदि सब रस्सी को खींचते तो फिर (ये) ग्यारह इस गो को नही  खो  बैठते,अर्थात् इन्द्रियों और मन की विक्षिप्त दशा आत्मा को कहीं की रहने नही देतीं। जैसे ग्यारह स्वामियों की धेनु अपनी-अपनी ओर खिचे जाने से कहीं की नहीं रहती।

Contributed By: अशोक कौल वैशाली