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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

गवर पृछाम सासि लटे,   Lalla Vakh लल वाख  -

गवर पृछाम सासि लटे,   Lalla Vakh लल वाख  -



गवर पृछाम सासि लटे,

यस नॅ केंह  वनान तस क्या नाव।

पृछ़ान पृछ़ान थचिस तॅ लूसॅस,

केंह नस् निशि क्याह्र् ताम् द्राव ।।

गुरु से हज़ार बार पूछा था कि जो अनिर्वचनीय है,  उसका क्या नाम है। पूछते-पूछते मैं थककर हार गई, अस्त हो गई। ( यही समझा ) कुछ  है, जो इस सारे अनाम का मूल ( आदि-स्त्रोत) है ।

Contributed By: अशोक कौल वैशाली