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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

च़रमन च़टिथ दितिथ् पॅनि पानस   Lalla Wakh लल वाख -67

च़रमन च़टिथ दितिथ् पॅनि पानस   Lalla Wakh लल वाख -67



च़रमन च़टिथ दितिथ् पॅनि पानस,

त्युथ क्या व्वयोथ तॅ फलिह़ी सोव,

मूड़स व्वपदीश व्वपदीश गय रोज़ि दुमटस्,

कनि दॉदस गोर आपरिथ रोव।।

अर्थात्   

चर्म काटकर तुने अपने चारों ओर खढे गाड़ उसकी बाड़ फैला दी है। ऐसी कौन-सी बीज़ बोया था, जो उग कर कुछ फल दे देता।मूर्ख को उपदेश करना गुबज पर कंकर फॅकना है या भूरे बैल को गुड़ खिला कर उससे व्यर्थ ही दूध की आशा रखना है।

Contributed By: अशोक कौल वैशाली