#

#

hits counter
Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

लल बो  लूसॅस छ़ाॅड़ान तॅ ग्वारान,     Lalla Vakh लल वाख  -

लल बो  लूसॅस छ़ाॅड़ान तॅ ग्वारान,     Lalla Vakh लल वाख  -



लल बो  लूसॅस छ़ाॅड़ान तॅ ग्वारान,

हल म्य  कोरमस  रसॅनि शतिय।

वुछुन हाओतमस तार्य् डीठिमस बरन्,

म्य ति कल गनेयि ज़ेगमस तॅतिय ।।

मैं लल्ला ढूंढते-खोजते थक गई। मैंने अपने बूते ( सामर्थ्य) से बढक़र भी ज़ोर लगाये।  अब जिज्ञासापूर्वक उसकी ओर

ताकने लगी तो देखा, उसके  किवाड़ों पर कुण्डी  लगी है।  मेरी जिज्ञासा ओर भी बढ़ गई और मैं वहां उसकी ताक़ में बैठी रही ।

Contributed By: अशोक कौल वैशाली