#

#

hits counter
Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

Bhakt Lalsa   भक्त लालसा

Bhakt Lalsa   भक्त लालसा



दर्शन दो धनश्याम नाथ, मोरी आँखियाँ प्यासी रे।

मन मन्दिर की ज्योति जगा दो, घट घट वासी रे।।

दर्शन दो धनश्याम नाथ, मोरी आँखियाँ प्यासी रे।

मन्दिर मन्दिर मूरत तेरी, फिर भी न दीखे सूरत तेरी।

युग बाते न आई मिलन की, पूरनमासी रे।।

दर्शन दो धनश्याम नाथ, मोरी आँखियाँ प्यासी रे।

द्वार दया का जब तू खोले, पंचम स्वर में गूँगा बोले।

अन्धा देखे लंगड़ा चलकर, पहूँचे काशी रे।।

दर्शन दो धनश्याम नाथ, मोरी आँखियाँ प्यासी रे।

पानी पीकर प्यास बुझाऊँ, नैनन को कैसे समझाऊँ।

आँख मिचैली छोड़ो अब तो, मन के वासी रे।।

दर्शन दो धनश्याम नाथ, मोरी आँखियाँ प्यासी रे।

नाम जपे पर तूझे न जाने, उसको भी तू अपना माने।

तेरी दया का अंत नहीं है, हे दुःख नाशी रे।।

दर्शन दो धनश्याम नाथ, मोरी आँखियाँ प्यासी रे।

आज फैसला तेरे द्वार पर, मेरी जीत है तेरी हार पर।

हार जीत है तेरी, मैं तो चरन उपासी रे।।

दर्शन दो धनश्याम नाथ, मोरी आँखियाँ प्यासी रे।

द्वार खड़ा कब से मतवाला, माँगे तुझ से हार तुम्हरा।

मेरी से बिनति सुन लो प्रभु, भक्त निलासी रे।।

दर्शन दो धनश्याम नाथ, मोरी आँखियाँ प्यासी रे।

लाज न लुट जाए प्रभु मेरी, नाथ करो न दया में देरी।

तीनों लोग छोड़कर आयो, गगन निवासी रे।।

दर्शन दो धनश्याम नाथ, मोरी आँखियाँ प्यासी रे।