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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

Mey Deep Jalane Aaya Hoon  मैं दीप जलाने आया हुँ।

Mey Deep Jalane Aaya Hoon  मैं दीप जलाने आया हुँ।



श्री राम तुम्हारे मन्दिर में, मैं दीप जलाने आया हुँ।

और टूटे दिल के तारों से, इक गीत सुनाने आया हूँ।

नीरस सूने जीवन में, मन के अन्धेरे कोने में।

साँसों की उजली आशामय, शुभ ज्योति जलाने आया हूँ।

श्री राम तुम्हारे मन्दिर में, मैं दीप जलाने आया हुँ।

पूजन विधि विधान नहीं, सुमिरन साधन ध्यान नहीं।

पर अच्छे भक्ति सुगन्ध भरे, दो पुष्प चढ़ाने आया हूँ

श्री राम तुम्हारे मन्दिर में, मैं दीप जलाने आया हुँ।

राम दीप का ज्ञान नहीं, मुझे ताल सुरों का भान नहीं।

पर ढीली हृदय की तारों की, झंकार सुनाने आया हूँ।

श्री राम तुम्हारे मन्दिर में, मैं दीप जलाने आया हुँ।

काल की कलुषित काया में, मतवादमयी मोह माया में।

सद्ज्ञान का सबल सहारा ले, जय तेरी मनाने आया हूँ

श्री राम तुम्हारे मन्दिर में, मैं दीप जलाने आया हुँ।