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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

शिवह लगयो शिवह नावस

शिवह लगयो शिवह नावस



Swami Govind ji

शिवह लगयो शिवह नावस, शंकरह शुक्लह सुन्दरो।

पूरण ब्रह्मह परमीश्वरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।।

दर्शन दिम करुणाकरह, अदह क्याज़ि ब छेन्दरो ।

त्रन भवनन हन्दि गाशंरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ॥

मृत्यजाजयि गङ्गाधरह, शूभान च्यह ड्यकि चन्दरो ।

जटाधरह त्रिशूलहधरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।

डुमह डुमह चाने डुमरह, स्यीत कति रोज़ि न्यन्दरो ।

ग्यति बोजनावतम च अमरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ॥

सत करहवुन चई सतगुरह, यूगियन यूग्यन्दरो ।

अज़ वा म्यति गछहम सरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।।

जपान लोलह ईकह अक्षरह, तिमनई फेरि ज्यन्दरो।

वजि सहम मोधुरि स्वरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ॥

द्वादशान्त मन्डलकि भासकरह, गाश अन मे न्यबरह अन्दरो।

शद्ध जीतन च्यनहमातरह, शंकरह शुक्लह सन्दरा ॥

दया करवनि ईश्वरह, सतगुरह सिरियि चन्दरो।

प्रारान छुस तल चानि बरह, शकरह शुक्लह सुन्दरो ।

शाना कोर मानसरोवरह, हंसव ब्रह्मह रोन्दरो ।

म्यति करहनाव यूगीश्वरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो।

मे पालवनि कपालहधरह, त्योव लोलह तोन्दरो।

वस वस जाल भसमाधरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।।

लोलह पोशव ब पूजा करह, वे मज़ मनि मन्दरो ।

यवह तवह द्यवह भवसरह तरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।

कालस चानी थरह थरह, ब्रह्मा आदि इन्दरो ।

शरण सारिय च्यह ईश्वरह; शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।

आश छम चानीय आश्चरह, लागय पोशि गोन्दरो ।

चरणह कमलन च्यह दिगम्बरह, शंक रह शुक्लह सुन्दरो ।

बृहस्पत नविमे घरह, चन्दर छुय क्यन्दरो ।

तोलि हंद्य वुश शनश्चरह, शंकरह शुक्लह सुन्दरो ।।

मारकांडियून ओय ज़रह ज़रह, सानि विज़ि म लाग हुन्दरो।

गोवेन्दस ति करिजि खरह खरह, शंकरह शुल्कह सुन्दरो ।।