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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

पार्य लगयो चे मार्य मंद्यो

पार्य लगयो चे मार्य मंद्यो



Swami Govind ji

पार्य लगयो ने मार्य मंद्यो, शिवनाथय पम्पोशि गोंद्यो।

मन्दछन छिय पम्पोशि पत्र, वुछित चाज पम्पोशि नेत्र

संतन हंद्य परमह मित्र, शिवनाथय पम्पोशि गोंद्यो।

पम्पोशिय छिय मन्दछनई. छित चाज पम्पोशि तनई

मुख फोलुवुन पम्पोश ज़नई, शिवनाथय पम्पोशि गोंद्यो।।

पम्पोश चोन हृदयुक आसन, तति च आसन यूगियन बासन।

अनुग्रह कर वा चय दासन, शिवनाथय पम्पोशि गोंद्यो।।

वुछित चोन पम्पोशि मुखई. वुछिवजोन चलान दुखई

हृदयस तिमन आव सुखई, शिवनाथय पम्पोशि गोंद्यो ।।

अथह चे पम्पोश अभय त वरय, शक्ति-पातच्य नज़र मे करई।

अमृत च चाव अमृइश रय, शिवनाथय पम्पोशि गोंद्यो ।।

अथि चे पम्पोश पम्पोशि मत्ये, अथि आहम रोशे मत्ये ।

रोशि नो ज़ाह वञ ब तोशि मत्ये, शिवनाथय पम्पोशि गोंद्यो।

भवसरक्य पम्पोश साधई सीवह वञ चाल पम्पोशि पादई ।

लोलह लायान गोवन्द ति नादई, शिवनाथय पम्पोशि गोंद्यो ।

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संसार कच्चा कुआँ है। इसके किनारे पर खूब सावधानी से खड़ा होना चाहिये । तनिक असावधानी होते ही कुएं में गिर पड़ोगे, तब निकलना कठिन हो जायेगा।