शिष्य भाव गॉर सेवक मन्थर पर,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर।
त्रेन गोणनुई हुन्द गॉडन्युक अछर,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर ।।
1
गोर ध्यान धार सर कर पन्मुई पान,
त्रेगोंण परशोत्म सई स्अत जान ।।
त्रेनवय छ ब्योन-ब्योन ओनॅवून कुन कर,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर ।।
2
ब्रम्ह विद्यय कुन शोंद्व मन कन थाव,..
गोर् उपदेशय च्य ब्रम्ह ज्ञान प्राव ।
सत् गौर सतूगोंण हसअ शिव शंकर,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर ।।
3
ब्रम्ह छिय समसार शम दम परजनाव,
वअन् द्वयू पन्निस पानस जान थाव ।
अद् पान् देशख पानय च क्षेत्रचर,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर ।।
4
रजोगोंण, तिमोगोंण, मूह गन्ड़ चटिथ त्राव,
अपजुय य् मायाजाल मो व्हराव ।
पअज़पअठ च परशोतम सर कर,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर ।।
5
च्य अग्न तय सिरय् चन्दरम छु चूनुई,
ज्ञानवानव अथ ब्योन कर जूनई।
च्य पान ब्रम्हा, विष्णु, महेश्र,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर ।।
6
चाने कारन धरती उतपन,
चय पालनहार चय मोकलावान।
प्रकाश चून तेज़ अमृत छु अमर,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर।।
7
ॐ रूप चय तत्सत चय हमसा,
स्वयं प्रकाश थज़रस चून तखताह ।
चय आकाश चय तारामण्डल धर,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर ।।
8
आहूति दिन् वोल अग्नी च पानय,
वेदुक सार तय वेद चय पानय।
नेथ अनेथ ग्रहस्थदार सनियासि त् ब्रम्हचर
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर ।।
9
मनुष्यन त् दीवन अन्दर तीज़ चूनुई,
सत वॉनमय सत् सअती म्य जूनुई।
आकाश पाताल त्रेज़गत चराचर,
ॐब्रम्हा ॐ विष्णु ॐमहेश्वर ।।
10
चानि सअत सागर रत्नव छु बअरि-बअरि,
ऑषध सअती पृथवी क्रथन स्अरि।
चानि बल् नदियन त् नालन छु शोरशर,
ॐब्रम्हा ॐ विष्णु ॐमहेश्वर ।।
11
चय ब्रम्ह स्वरूप तय चय सर्वव्यापक,
सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान मोक्षदायक।
मन थ्येर् शम कर पर् ब्रम्ह मन्थर,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर।।
12
ब्रम्ह ज्ञान् सअती प्रावख सत्च वथ,
ब्रम्ह द्वार फुटराव दिस ज्ञान्च लथ।
ब्रम्ह थान सुय गव पनुन पान सर कर,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर ।।
13
नाशवान य् शरीर रथ त् माज़ अपजुई,
'अज्ञानी म् बन मद् छुय यि अमिकई ।।
निर्मल भाव मनकुई अनुभव कर,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर ।।
14
ब्रम्ह विद्याय् भक्ती वनान ब्रम्ह ज्ञान,
याद थाव शॉद्व वासनाय सतगॉर मान।
ब्रम्ह विद्याय् सअत लबहन सतगार,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर।।
शेष भाव गौर सेवक मन्थत पर,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर।
त्रेन गोणनुई हुन्द गोंडन्युक अछर,
ॐब्रम्हा ॐविष्णु ॐमहेश्वर ।।