#

#

hits counter
Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

अरज गरज मानैं नही, रहिमन ये जन चारि।

अरज गरज मानैं नही, रहिमन ये जन चारि।



अरज गरज मानैं नही, रहिमन ये जन चारि।

रिनिया, राजा, मांगता,  काम आतुरी  नारि।।

                                          रहीम 

अर्थ:-  कर्जदार] राजा-भिक्षुक और कामुक स्त्री न प्रार्थना सुनते हैं न किसी की धमकी से डरते हैं। ऐसे लोगों से चाहे जितनी विनती करो वे नहीे मानेंगे । चाहे जितना इन्हें धमकाओं या डराओ उन पर असर नही होगा। ये लोग अपनी मर्जी के मालिक होते हैं। ये आदतों के दास होते है।