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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

पलटु नेरे साच के, झूठ से है दूर।

पलटु नेरे साच के, झूठ से है दूर।



पलटु नेरे साच के, झूठ से है दूर।

दिल में आवे है नजर, उस मालिक का नूर।।

                                                पलटु साहब

पलटु साहबकहते हैं कि जो मनुष्य सत्य के करीब है और झूठ से सदा दूर रहता है, उसके दिल में उस परमपिता परमात्मा का जलवा ही दिखाई पड़ता है। अतः सत्य का आचरण करना जीवन में परमात्मा के प्रकाश को भरना है।