#

#

hits counter
Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

कितना प्यार करता हूँ

कितना प्यार करता हूँ

तुम्हें दिल से कह दूँ कि मैं तुम से
कितना प्यार करता हूँ
(अशोक रैना के कलम से )
तुम्हें दिल से कह दूँ कि मैं तुम से
कितना प्यार करता हूँ
मेरे दिल के करीब तुम हो
तुझे जान की तरह मैं चाहता हूँ
तनहा सफ़र की रात में
कसम से तेरा नाम गुनगुनाता हूँ
तुम्हें दिल से कह दूँ कि मैं तुम से
कितना प्यार करता हूँ
लोग कहते होंगे रोज़ प्यार का नमूना क्या है
हसरत यह है कि खुद को मालूम नहीं
पर “तुम्हें नमूना दिखाता हूँ
तुम्हें दिल से कह दूँ कि मैं तुम से
कितना प्यार करता हूँ
मेरे दिल के करीब तुम हो
तुझे जान की तरह मैं चाहता हूँ
जब तुम मुस्कुराकर कहते हो
तुम बहुत प्यारे हो
. प्यार आता है
अक्सर प्यार का रिश्ता गहरा
मज़बूत होता है
चलना है साथ-साथ, मचलना है साथ-साथ
दिलकी धड़कन जो तेरा ही गीत गाता है
तुम्हें दिल से कह दूँ कि मैं तुम से
कितना प्यार करता हूँ
मेरे दिल के करीब तुम हो
तुझे जान की तरह मैं चाहता हूँ
सुबह आती है महका महका
सा पैगाम लाती है
कैसी गहराई है तेरी चाहत में ,
सूरज भी कहने को बेताब है
तुम जाने वफ़ा दिलबर मेरे
आकर ये चिड़िया भी तुम्हें समझा रही है
प्यार न दिल से होता है न दिमाग से,
प्यार तो इत्तेफाक से होता है.
तुम्हें दिल से कह दूँ कि मैं तुम से
कितना प्यार करता हूँ
मेरे दिल के करीब तुम हो
तुझे जान की तरह मैं चाहता हूँ
मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी साँस बनो
मुझे अपनी हवा बना लो
सूरज की खिलती धूप में-
हर दर्द भूल जाएंगे,
रंग न्यारे है ज़िन्दगी के
हाँ !सूरजमुखी भी तुम्हें समझा रहे हैं
तुम्हें दिल से कह दूँ कि मैं तुम से
कितना प्यार करता हूँ
मेरे दिल के करीब तुम हो
तुझे जान की तरह मैं चाहता हूँ .

Ashok Raina