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Ekadashi एकादशी, पापाङ्कुशा एकादशी पंचक आरम्भ

उड़ने दो मिट्टी

उड़ने दो मिट्टी

उड़ने दो मिट्टी को आखिर कहाँ तक उड़ेगी....
हवाओं ने जब साथ छोड़ा तो जमीन पर ही गिरेगी.....
जो लोग आलोचना से डरते हैं, वे जीवन में कुछ नहीं कर पाते हैं।
सफर जितना कठिन होता है, मंजिल उतनी ही शानदार होती है।

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